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Chemistry : full chapter, कार्बन और उसके यौगिक , ऐल्केन का सामान्य सुत्र Cn H 2n+2 होता है।

 ऐल्केन का सामान्य सुत्र Cn H 2n+2 होता है।  

ऐल्किल समुह - ऐल्केन के अणु से एक हाइड्रोजन परमाणु को हटाने के फलस्वरूप प्राप्त समुह को ऐल्किल समुह (R) कहते है।  जैसे ,

CH 3 -CH 3 ---------------CH3-CH2-

ऐल्किल समुह (R) के नामकरण में इसके संगत के ऐल्केन के नाम से एन हटाकर इल अनुलग्न जोड़ दिया जाता है।  

ऐल्किल समुह (R) का समान्य सूत्र C n H 2n+1 होता है।  


कुछ संतृप्त हाइड्रोकार्बन (ऐल्केन) ऐसे भी होते है।  जिनके कार्बन परमाणुओ से पाश्र्व श्रंखला (side chain ) जुड़ी रहती है।  

उदाहरण के लिए , 

इस प्रकार के योगिकों के नामकरण में सबसे लंबी व लगातार कार्बन की श्रृंखाला चुनी जाती है।  कार्बन श्रृंखला में कार्बन परमाणुओ को एक सिरे से दूसरे सिरे तक संख्याओं द्वारा व्यक्त करते है। संख्याओं का क्रम उस सिरे से प्रारम्भ किया जाता है। जो पाश्र्व श्रृंखला के सबसे निकट हो।  ऊपर के संरचना सूत्र  में छः कार्बन की लंबी श्रृंखला है।  अतः यह योगिकों छः कार्बन के संतृप्त हाइड्रोकार्बन हेक्सेन का व्युत्पन्न माना जाएगा।   ऊपर की संरचना में कार्बन श्रृखला में कार्बन का अंकन बाए सिरे से दाएं सिरे की ओर किया गया है। तथा तीसरे कार्बन पर मैथिल (-CH3) समुह जुड़ा हुआ है। अतः इस यौगिक का नाम 3- मेठिल्हेक्शन होगा। ध्यान रहे कि संख्या तथा अक्षर के बीच (-) दिया जाता है। तथा मैथिल और हेक्शन शब्दों को सटाकर लिखा जाता है।  



अगर उपयुक्त संरचना में कार्बन श्रृंखला में कार्बन का अंकन दाएं सिरे से अंकन किया जाए तो नाम गलत होगा।  पाश्र्व श्रृंखला के रूप में मेथिल समुह का स्थान कार्बन -3 के बदले 4 पर दिखाना गलत होगा।   

असंतृप्त हाइड्रोकार्बन 


ऐल्कीन या ओलिफीन ( Alkenes or olefins ) 


ऐल्कीन कार्बन कार्बन व्दबन्ध होता है। IUPAC प्रणाली के अनुसार नामकरण में इसके संगत ऐल्केन के नाम से एन (-ane) हटाकर उसकी जगह पर - इन (-ene) अनुलग्न जोड़ दिया जाता है। 


कार्बन श्रृंखला के अंकन में संख्याओं का क्रम उस सिरे से प्रारम्भ किया जाता है। जो द्विबंध के निकट हो।  


उदहारण - नीचे के उदहारण में श्रृंखला का अंकन दो प्रकार से किया जा सकता है। 

ऐल्कीन का सामान्य सूत्र Cn H 2n होता है।  


ऐल्काईन या ऐसितिलिन - ऐल्काईन में कार्बन - कार्बन त्रिबंध (triple bond ) होता है।  IUPAC प्रणाली के अनुसार नामकरण में इसके संगत  ऐल्केन के नाम से एन (-ane) हटाकर उसकी जगह पर 

आइन (-yne) अनुलग्न जोड़ दिया जाता है। 




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