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Vital news : आंखो आना , आंखो में कोई भी दिकत है , तो ये पोस्ट आपके लिए है

 आंखो में धूप, शीतल हवा, धुआ ,तेज प्रकाश लगने से और चेचक या सूजन के बाद आखे आ जाती हैं। जहां वर्षा कम होकर गर्मी या शीत अधिक होती हैं, वहां के निवासियों की आंख आश्विन या चैत्र मास में आ जाती हैं। आंख आ जाने पर नेत्र का सफेद भाग लाल हो जाता है। आंखो से जल या कीच का निकलना, आंखो की पलकों का जुट जना, शोध, दर्द बालू गिरने या कांटा चुभने जैसा असहन होना आदि लक्षण होते हैं।

आंख आने पे उसको सावधानीपूर्वक साफ रखें। जल में जरा सा बोरिक एसिड मिलाकर दो बार धोएं या त्रिफला के काढ़े से आंखो को साफ करे। नीम के पत्तों का ऊपरी भाग सिर पर इस तरह से बांधे जिससे आई हुई आंखें ढक जाए। उन्हीं पतो के अंदर से देखें। बीच- बीच में ठंडे पानी से पत्तों को तर करते रहें। इससे पीड़ा शांत होगी और रोग उग्र रूप न धारण कर सकेगा। वर्तमान समय मे आंखे आने पर धूप से बचने वाले हरे रंग के मामूली चश्मे लोग लगा लेते हैं। परंतु उनकी जगह नीम के पत्तों का उपयोग अत्यंत लाभदायक हैं। बबूल के पत्तों को पीसकर टिकिया बना लें। रात को सोते समय यह टिकिया बांध कर सो जाए इससे आंखो को ठंडक पहुंचेगी, बढ़िया गुलाब जल 60 ग्राम में फिटकिरी तीन ग्राम मिलाकर साफ सादे कपड़े से छान लें और तीन बार इसी जल को आंखो मै डाले। इससे आंखो को आना बिल्कुल शांत हो जाएगा। स्त्री के दूध में रसाजन धिसकर लगाने से बहुत फायदा होता हैं। दारू हल्दी को 16 गुना पानी में औटाकर जब अस्टमांस पानी रहे तब छानकर आंख में डाले, यह आंख आने की सर्वश्रे्ठ दवा हैं। इसी से रसजान यानी रसुट

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